Introduction
दोस्तों, आपने कई बार सुना होगा कि लोग कहते हैं “मैंने अपने shares की pledging कर ली” और हम उससे trade कर रहे हैं। Pledging एक ऐसा तरीका है जिसमें आप अपने holdings का use करके trade कर सकते हैं। मतलब, same amount में आपका portfolio भी run होता रहेगा और आप trade भी कर सकते हैं।
ये concept सुनने में काफी difficult लगता होगा, पर मेरी मानिये, आपको ये concept पहले से पता है। खाली थोड़े wordings में change है। तो चलिए pledging के बारे में detail में जानते हैं।
START LEARNING STOCK MARKET FROM SCRATCH (CLICK HERE) START LEARNING STOCK MARKET FROM SCRATCH (CLICK HERE)What is Pledging?
दोस्तों, जैसे आपने देखा होगा कि पहले किसी को अगर पैसों की जरूरत होती थी, तब लोग अपने gold को गिरवी रखकर bank, jewelers ऐसे लोगों से पैसे loan ले लेते थे। जब उनके पास पैसे आ जाते थे, तब वो ये loan amount को return करके अपना gold वापस ले लेते थे। बस pledging का भी concept almost same ही होता है।
Pledging में आप अपने demat account के shares वगेरा को अपने broker के पास pledge यानी गिरवी रखकर, broker से कुछ amount लेते हैं trading के लिए। जब वो amount आप broker को वापस कर देते हैं, तब broker आपको आपके shares वापस कर देता है। बस इसे ही pledging कहते हैं।
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Example of Pledging
मान लीजिए आपके पास XYZ company के shares हैं, जो 1000 रुपये के हैं और 1 share की कीमत है 5 रुपये। तो इस हिसाब से total value हुई 5000 रुपये। अब आप इस 5000 रुपये के shares को अपने broker के पास pledge करके 4000 या उससे भी कम amount लेकर आप trade कर सकते हैं। ध्यान दीजिए कि बहुत सारे brokers pledging amount से आपको option buying नहीं करने देते हैं, तो आप एक बार अपने broker में जरूर check कर लें।
आपने notice किया होगा कि मैंने pledging amount में 4000 रुपये या उससे कम कहा जबकि हमारे shares की value तो 5000 रुपये है। पर ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए क्योंकि आप कभी भी 100% amount नहीं ले सकते stock की value का। आपका broker हर stock के ऊपर कुछ percentage cut करके ही आपको amount देगा और इस cut को हम haircut कहते हैं। अगर आपको check करना है कि कौनसे stock में कितना haircut है, तो आप एक बार अपने broker में ये चीज check कर लें।
How Pledging Works
जब कोई investor या promoter shares pledge करता है, तो वे ownership retain करते हैं लेकिन इन shares को loan के लिए security के रूप में देते हैं। Lender (broker) को ये shares बेचने का अधिकार होता है अगर borrower (pledgor) अपने loan obligations को पूरा नहीं कर पाता। Process typically involve करता है:
- Collateral Agreement: एक formal agreement बनता है lender और borrower के बीच, जो loan के terms को outline करता है, including collateral की value और loan amount।
- Haircut: Lender अक्सर एक haircut apply करता है, जो pledged shares की market value से percentage reduction होता है, loan amount determine करने के लिए। उदाहरण के लिए, अगर 10,000 रुपये के shares pledge किए जाते हैं और lender 20% haircut apply करता है, तो borrower को केवल 8,000 रुपये का loan मिल सकता है।
- Margin Calls: अगर pledged shares की market value एक certain threshold से नीचे गिरती है, तो lender एक margin call issue कर सकता है, जिससे borrower को additional collateral provide करना होगा या loan का कुछ हिस्सा repay करना होगा। ऐसा न करने पर lender pledged shares को बेचकर loan amount recover कर सकता है।
Advantages of Pledging
- कम Capital वालों के लिए अच्छा होता है: अगर आपके पास पैसे कम हैं, तो आप पहले उनसे shares purchase कर सकते हैं और बाद में उन्हीं shares को pledge करके आप trading भी कर सकते हैं। ऐसे pledge करके आप किन चीजों में trade कर सकते हैं, ये आप एक बार अपने broker में check कर लें।
- Interest Free: जैसे मैंने आपको पहले ही बताया, pledging को हम अपने shares को गिरवी रखना भी कह सकते हैं। पर जब भी आप अपनी कोई चीज किसी के पास गिरवी रखते हैं, तो आपको पैसे वापस करते वक्त कुछ interest भी देना पड़ता है। पर pledging में ऐसा नहीं होता। इसमें आपको कोई भी interest नहीं देना होता है अपने broker को। जितने amount का आपने pledge किया है, आपको सिर्फ उतनी ही amount अपने broker को return करनी होती है।
Disadvantages of Pledging
- Risky: मान लीजिए आपने pledge करके एक certain amount ले लिया अपने broker से और वो amount से आप trade कर रहे हैं। पर उस amount से आपको trading में loss हो जाता है, तब आपको penalty pay करनी पड़ सकती है या तो broker आपके shares बेचकर भी दिया हुआ amount recover कर सकता है।
Conclusion
तो आशा करता हूँ कि आप लोगों को pledging का concept समझ आ गया होगा। ये एक काफी अच्छा तरीका है अगर आपके पास trading capital नहीं है, तो आप इसे use करके capital arrange कर सकते हैं। पर अगर आप इसे अच्छे से use नहीं करेंगे, तो आप काफी ज्यादा loss face कर सकते हैं। तो अगर आप pledging करने का सोच रहे हैं, तो आप एक बार काफी अच्छे से research कर लें इस बारे में और तभी किसी conclusion पर आएं।
पर ये सारी चीज़ें आपको बिना knowledge के use नहीं करनी चाहिए क्योंकि लोग सिर्फ pledging के advantages को देखकर pledging करते हैं, तो end में उन्हें loss ही देखना पड़ता है। कई लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें trading आती भी नहीं फिर भी वो pledging का use करके trading में आ जाते हैं। वो इस वक्त न trading के हो पाते हैं न ही investing के और उनका account blow हो जाता है। तो इस blog post लिखने का main motive यही था कि मेरी audience ये गलती न करे।
धन्यवाद।
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