DOW THEORY | EXPLAINED IN DETAIL

दोस्तों, आपने सुना होगा कि लोग DOW Theory के बारे में बात करते हैं। यहां तक कि बड़े-बड़े financial experts ने भी DOW Theory को सही बताया है। पर आखिर यह DOW Theory है क्या? और आपको DOW Theory से trading में क्या मदद मिलने वाली है?

Financial Markets में enter करने से पहले आपको यह समझना पड़ेगा कि market का behavior क्या है, market चलता कैसे है। और यह DOW Theory आपको market के behavior के बारे में एक अच्छा खासा idea दे देगा।

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What is Dow Theory in Hindi

Dow Theory कुछ principles या कह सकते हैं कुछ points हैं जो आपको पता होना चाहिए market में enter करने से पहले। और ये जो principles हैं वो Charles Dow नामक व्यक्ति ने हमें दिए हैं। तो Dow Theory के बारे में जानने से पहले हमें Charles Dow कौन थे, उनके बारे में जानना बहुत ज़रूरी हो जाता है।

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Who was Charles Dow

मैं आपको सिर्फ एक overview दूंगा कि Charles Dow थे कौन। Charles Dow एक American Journalist थे और यह कह सकते हैं कि वो एक Financial Journalist थे, जिन्होंने अपनी पूरी life stock market और financial market को सीखने में निकाल दी।

जब अभी आपको global markets के conditions देखने होते हैं, तब आप USA के index Dow Jones को ज़रूर से ही check करते हैं। तो यह जो Dow Jones index है उसे found भी Charles Dow ने ही किया था। तो अब आप समझ गए होंगे कि Charles Dow का Financial Markets में कितना ज़्यादा importance है।

जैसे मैंने कहा, Charles Dow की पूरी life Financial Markets के बारे में study करने में ही निकल गई। तो इन studies में से Charles Dow ने market के बारे में 6 principles लिखे और इन्हीं principles को Dow Theory कहा जाता है। इस theory से आपको market के बारे में काफ़ी कुछ सीखने को मिलता है और बड़े-बड़े Financial Experts भी इस Theory को काफ़ी support करते हैं।

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6 Principles of DOW Theory

1] THE MARKET DISCOUNTS EVERYTHING

डॉव थ्योरी के अनुसार, मार्केट की कीमतें सभी उपलब्ध जानकारी को पहले ही शामिल कर लेती हैं। इसका मतलब है कि स्टॉक्स की कीमतें आर्थिक, राजनीतिक और कंपनी से संबंधित सभी जानकारी को पहले से ही प्रदर्शित करती हैं।

इस point को easy words में बताऊं तो इसका मतलब यह है कि मान लो किसी stock के बारे में news आने वाली है कल। अगर आप notice करेंगे तो उस stock की price में पिछले कुछ दिनों में अच्छे changes देखने को मिल सकते हैं। तो इसका मतलब यह है कि market को already news पता थी और market पिछले कुछ दिनों से उस news पर react भी कर चुका है। तो इस point का मतलब यह हुआ कि आने वाले किसी भी event या news को market पहले ही absorb करके उसके हिसाब से price दिखाता है।

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2] The Market Moves in Trends


Primary Trends: ये long-term trends होते हैं जो एक से कई वर्षों तक चलते हैं। एक primary uptrend में higher highs और higher lows होते हैं, जबकि एक primary downtrend में lower highs और lower lows होते हैं। ये trends market की overall direction को represent करते हैं। इसे market का bigger timeframe में overall trend कह सकते हैं और ये आपको बड़े timeframes में देखने मिलता है।

Secondary Trends: इन्हें intermediate trends भी कहा जाता है, ये कुछ हफ्तों से लेकर कई महीनों तक चलते हैं और primary trend के खिलाफ move करते हैं। ये primary trend के अंदर corrections या retracements को represent करते हैं। उदाहरण के लिए, एक primary uptrend के दौरान, secondary trends short-term declines दिखा सकते हैं। जब हम एक bullish market में एक retracement देखते हैं तो ये retracement छोटे time frames में आपको downtrend लगेगा, तो बस इसे ही secondary trend कहते हैं।

Minor Trends: ये short-term movements होते हैं जो कुछ दिनों से लेकर कई हफ्तों तक चलते हैं। इन्हें primary और secondary trends से कम significant माना जाता है और अक्सर larger trend के अंदर noise के रूप में देखा जाता है। जब market sideways हो जाता है, काफ़ी choppy हो जाता है।

3] Trends Have Three Phases

हर trend में 3 phases होते हैं:

Accumulation Phase: यह phase तब होता है जब informed और investors future price movements के anticipation में buying या selling शुरू करते हैं। यह आमतौर पर sideways की अवधि के बाद होता है और एक नए trend की शुरुआत को दर्शाता है।

Public Participation Phase: अब Accumulation phase को देख कर जब retail traders market में enter करके price को और ऊपर ले जाते हैं। इस phase के दौरान, market में ज़्यादा लोग trend को पहचानने लगते हैं और market में enter करते हैं, जिससे prices और ज्यादा trend की direction में जाती हैं। यह phase trend के bulk movement को represent करता है और इसमें volumes और market activity बहुत ज़्यादा होती है।

Distribution Phase: अब जब retail traders price को ऊपर ले जाते हैं और overbought conditions हो जाती हैं, तब institutional traders और most of the volume की liquidity लेकर उनके against में trade place करते हैं। इस final phase में, trend की momentum कम होने लगती है और informed investors अपनी positions को latecomers को बेचने लगते हैं। यह phase trading volumes में कमी और trend के potential reversal को दर्शाता है।

4] The Averages Must Confirm Each Other

आप मेरे live stream पर भी कई बार देखते हो कि मैं कहता हूँ कि Nifty और Bank Nifty sync नहीं हैं। मतलब कि अगर Nifty breakout दे रही है और Bank Nifty sideways है तो chances हैं कि trade अच्छा ना चले। तो इस point का मतलब यही है कि indexes एक दूसरे को confirm करने चाहिए। अगर Nifty ऊपर जा रही है और Bank Nifty नीचे जा रही है तो high chances हैं कि कोई एक index अपनी direction बदल देगा और वापस से दोनों indexes एक ही direction में चलने लगेंगे।

5] Volume Confirms Trends

Dow Theory भी trading volume की importance को trends की confirmation के रूप में बताता है। एक uptrend के दौरान volume का increase होना चाहिए, जबकि एक downtrend के दौरान volume का decrease होना चाहिए। Uptrend के दौरान higher volumes strong buying interest को दर्शाते हैं और trend को support करते हैं, जबकि downtrend के दौरान higher volumes strong selling pressure को दिखाते हैं।

इसका मतलब यही है कि अगर market किसी भी trend में है और उसमें अच्छा खासा volume है, तो यह इस बात का signal है कि trend काफी strong है।

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6] Continue Until a Reversal is Confirmed

इस point का मतलब है कि आप तब तक यह सच्चाई से नहीं कह सकते कि trend बदल चुका है जब तक आपको कोई clear evidence नहीं मिल जाता है। अलग-अलग time frames में trade करने वाले को अलग-अलग trends दिख सकते हैं; जैसे कि Nifty daily timeframe पर uptrend में हो सकता है और 15-minute timeframe पर downtrend में हो सकता है।

तो चाहे आप किसी भी time frame में trade कर रहे हों, बिना किसी confirm signal के यह ना मानें कि trend reverse हो चुका है। Confirm signal तब होता है जब price किसी major swing को break कर देती है और फिर higher highs और higher lows या lower highs और lower lows बनाने लगती है।

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Conclusion

आशा करता हूँ कि आपको Dow Theory के principles अच्छे से समझ में आए होंगे। ये principles आपको market को और अच्छे से जानने में मदद करेंगे और आप बेहतर trading decisions ले पाएंगे। मेरा हर blog post का यही motive होता है कि मैं आपको हर post में कुछ value प्रदान कर सकूं। तो इस blog post में मैंने वही कोशिश की है। धन्यवाद!

I’m Sagar Naik, the content creator behind a dynamic trading channel, Wealth Secret Official, which aspires to reshape the landscape of investment education on YouTube. I have 4 years experience in Stock Market.

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15 thoughts on “DOW THEORY | EXPLAINED IN DETAIL”

  1. Bahut ही अच्छा लगा सागर भाई अब हमारी पढ़ाई रुकनी नहीं चाहिए

    Reply
  2. Chart analysis ka jitna bhi knowledge muze hai woh aapki wajah se hai dada🩵…. Aur aapki har stream ki tarah yah blog bhi shaandar raha🫡🫡

    Reply
  3. Dada thank you for another content,hope u remember me, daily awaz sunne keliye aur sikhne ke liye ws family ka member hu ,lot of respect from my side to u
    Love you bro ❤️

    Reply

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